जमीन खरीदने वाले जल्द जान लें रजिस्ट्री का नया नियम, वरना हो सकता है भारी नुकसान Land Registry New Rules!

Land Registry New Rules: भूमि का लेन-देन भारत में सदियों से संपत्ति और सुरक्षा का महत्वपूर्ण माध्यम रहा है। लेकिन बढ़ते फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी के मामलों ने सरकार को मजबूर कर दिया है कि भूमि रजिस्ट्री की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और कड़ाई से लागू किया जाए। पिछले कुछ वर्षों में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जहां एक ही संपत्ति को कई लोगों के नाम पर ट्रांसफर किया गया, जिससे खरीदार और विक्रेता दोनों ही परेशान हुए। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने भूमि रजिस्ट्री के नए नियम लागू किए हैं।

पैन कार्ड और पासपोर्ट साइज फोटो अनिवार्य

नए नियमों के अनुसार, भूमि रजिस्ट्री के समय खरीदार और विक्रेता दोनों का पैन कार्ड जमा करना अनिवार्य होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि दोनों पक्षों की पहचान स्पष्ट रूप से दर्ज हो और भविष्य में किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न न हो। साथ ही, पासपोर्ट साइज फोटो भी रजिस्ट्री फाइल में अनिवार्य रूप से शामिल करनी होगी। फोटो के माध्यम से पहचान की पुष्टि होगी और धोखाधड़ी की संभावना काफी हद तक कम हो जाएगी। यह बदलाव विशेष रूप से उन संपत्तियों के लिए महत्वपूर्ण है, जो बड़े शहरों और उच्च मूल्य वाले क्षेत्रों में स्थित हैं।

पहचान और संपत्ति से जुड़े दस्तावेज!

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पहचान और पते के प्रमाण के रूप में आधार कार्ड को अनिवार्य किया गया है। यह सुनिश्चित करता है कि खरीदार और विक्रेता दोनों की पहचान सटीक हो और किसी भी प्रकार की पहचान से जुड़ी गड़बड़ी न हो।

इसके अलावा, जमीन से जुड़े मुख्य दस्तावेज भी जमा करना जरूरी होगा। इनमें शामिल हैं—

खसरा नंबर और खतौनी – जमीन की मूल पहचान और स्वामित्व प्रमाण।

भू-नक्शा – संपत्ति की सीमाएं और स्थिति को स्पष्ट करने वाला दस्तावेज।

सेल एग्रीमेंट – खरीदार और विक्रेता के बीच संपत्ति की खरीद-फरोख्त का वैध समझौता।

इन दस्तावेजों की जांच से भूमि लेन-देन की सटीकता बढ़ती है और किसी भी प्रकार की कानूनी अड़चन से बचा जा सकता है।

वित्तीय देनदारियों की पुष्टि

भूमि खरीदते समय यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि संबंधित संपत्ति पर कोई टैक्स, किराया या अन्य सरकारी बकाया न हो। नए नियमों के अनुसार, खरीदार को यह साबित करना होगा कि सभी वित्तीय देनदारियां चुका दी गई हैं। इस प्रक्रिया में खरीदार को संपत्ति से जुड़ी टैक्स रसीदें और अन्य प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने होंगे। जब तक ये दस्तावेज जमा नहीं होते, रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी नहीं मानी जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य खरीदार को किसी भी प्रकार के अप्रत्याशित बकाया भुगतान या कानूनी झंझट से बचाना है।

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डिजिटल प्रक्रिया और ऑनलाइन सुविधा

सरकार ने भूमि रजिस्ट्री प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल करने का निर्णय लिया है। अब तहसील या रजिस्ट्री कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी।

•नई डिजिटल प्रक्रिया में—

•रजिस्ट्री का चालान जनरेट करना

•आवश्यक दस्तावेज अपलोड करना

•रजिस्ट्री की सत्यापन प्रक्रिया पूरी करना

सभी कार्य एक ही प्लेटफॉर्म पर किए जा सकते हैं। इससे समय और धन की बचत होगी, और भ्रष्टाचार तथा बिचौलियों पर भी अंकुश लगेगा।

फर्जीवाड़े पर कड़ा नियंत्रण

नए नियमों का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है भूमि लेन-देन में पारदर्शिता लाना और फर्जीवाड़े को रोकना। डिजिटल प्रणाली और अनिवार्य दस्तावेजी सत्यापन के कारण—

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एक ही जमीन को कई बार बेचने की घटनाओं पर रोक लगेगी

खरीदारों का विश्वास बढ़ेगा

भूमि लेन-देन अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनेगा

सरकार की यह पहल विशेष रूप से उन क्षेत्रों में लाभकारी होगी, जहां भूमि मूल्य अधिक हैं और फर्जी दस्तावेज के माध्यम से धोखाधड़ी की घटनाएं सामान्य हैं।

 

रजिस्ट्री प्रक्रिया के पांच अनिवार्य दस्तावेज

नए नियमों के अनुसार, जमीन रजिस्ट्री के लिए अब पांच प्रमुख दस्तावेज अनिवार्य हैं—

 

•पैन कार्ड – खरीदार और विक्रेता दोनों का

•पासपोर्ट साइज फोटो – पहचान और प्रमाण के लिए

•आधार कार्ड – पते और पहचान की पुष्टि के लिए

•खसरा नंबर, खतौनी और भू-नक्शा – संपत्ति की वैधता और सीमाओं के लिए

•सेल एग्रीमेंट और टैक्स रसीदें – वित्तीय और कानूनी बाधाओं से बचाव

इन दस्तावेजों के बिना रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी नहीं मानी जाएगी।

राज्यों के नियम और स्थानीय प्रक्रियाएं!

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हालांकि केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है, लेकिन भूमि रजिस्ट्री से जुड़े नियम राज्यों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। इसलिए हमेशा यह सलाह दी जाती है कि—

अपने स्थानीय तहसील कार्यालय या

संबंधित भूमि विभाग

से सटीक जानकारी अवश्य प्राप्त करें। इस तरह आप किसी भी अप्रत्याशित समस्या या देरी से बच सकते हैं।

निष्कर्ष

जमीन की खरीद-फरोख्त अब पहले से कहीं अधिक सुरक्षित और पारदर्शी हो गई है। नए नियमों और डिजिटल प्रक्रिया के कारण—

•फर्जीवाड़े पर रोक लगी है

•खरीदार और विक्रेता दोनों की पहचान सुनिश्चित हुई है

•समय और धन की बचत हुई है

•भूमि लेन-देन का विश्वास बढ़ा है

इन सभी बदलावों से भूमि लेन-देन की प्रक्रिया सरल और सुरक्षित बन गई है। नई गाइडलाइन का पालन करना सभी खरीदारों और विक्रेताओं के लिए अनिवार्य है, ताकि भविष्य में किसी प्रकार के विवाद या कानूनी परेशानी से बचा जा सके।

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